LIC IPO news: सरकार अभी 5 फीसदी हिस्सेदारी ही बेचने जा रही है. सरकार इस आईपीओ से 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने का प्रयास कर रही है. साइज कम करने के बाद भी यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ बनने जा रहा है.
LIC IPO Latest Update: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) के ड्राफ्ट को पिछले सप्ताह मंजूरी दे दी. सेबी की यह मंजूरी ड्राफ्ट सौंपे जाने के 22 दिनों के भीतर आई. इससे पहले सेबी ने किसी भी आईपीओ के ड्राफ्ट को इतनी जल्दी मंजूरी नहीं दी थी. हालांकि इसके बाद भी अभी तक आईपीओ की तारीख के बारे में स्थितियां साफ नहीं हुई हैं. सेबी की त्वरित मंजूरी ने जहां इसी महीने IPO आने की ओर इशारा किया, तो दूसरी ओर ऐसी खबरें आ रही हैं कि रूस-यूक्रेन संकट के कारण बाजार में चल रहे बिकवाली के दौर के कारण आईपीओ को टाला जा सकता है.
इसके बाद सेबी के पास सौंपना पड़ेगा नया ड्राफ्ट
पीटीआई की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, अगर 12 मई तक एलआईसी का आईपीओ नहीं आता है तो सरकारी बीमा कंपनी को सेबी से दोबारा मंजूरी लेने की जरूरत पड़ेगी. रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, 'हमारे पास सेबी को अभी सौंपे गए ड्राफ्ट के आधार पर आईपीओ लाने के लिए 12 मई तक का विंडो है. हम बाजार की उथल-पुथल पर गौर कर रहे हैं और जल्दी ही आरएचपी फाइल करेंगे, जिसमें प्राइस बैंड की जानकारी होगी.
3 सप्ताह में सेबी ने दे दी ड्राफ्ट को मंजूरी
सेबी ने पिछले सप्ताह ड्राफ्ट को मंजूर करते हुए ऑब्जर्वेशन लेटर भी जारी कर दिया. सरकारी बीमा कंपनी नेसेबी के पास 13 फरवरी को आईपीओ का ड्राफ्ट सौंपा था. सेबी को कहा गया था कि वह एलआईसी आईपीओ के ड्राफ्ट को मंजूरी देने का काम 3 सप्ताह में पूरा करे. आम तौर पर सेबी इस काम में महीनों का समय लगाता है. ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि बाजार नियामक ड्राफ्ट को मार्च के पहले सप्ताह में मंजूरी दे सकता है.
पॉलिसी होल्डर्स के लिए रिजर्व रहेंगे इतने शेयर
आईपीओ के ड्राफ्ट के अनुसार, एलआईसी के कुल 632 करोड़ शेयर होंगे, इनमें से करीब 31.6 करोड़ शेयर आईपीओ में बेचे जाएंगे. इस आईपीओ में एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स के लिए अलग से एक हिस्सा रिजर्व रखा जा रहा है. ड्राफ्ट में एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स के लिए 10 फीसदी यानी करीब 3.16 करोड़ शेयर रिजर्व रखने का प्रस्ताव किया गया है. इसमें QIBs के लिए 50 फीसदी शेयर रिजर्व होंगे, जबकि गैर-संस्थागत इन्वेस्टर्स के लिए 15 फीसदी हिस्सा अलग रखा जाएगा.